भारत के GSAT-20 सैटेलाइट से अंडमान निकोबार में भी मिलेगा शानदार ब्रॉडबैंड कवरेज, जानिए और क्या क्या होंगे फायदे

नई दिल्ली : भारत ने स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से GSAT-20 के प्रक्षेपण के साथ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। यह पहली बार है जब ISRO की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) ने उपग्रह तैनाती के लिए स्पेसएक्स के साथ साझेदारी की है। प्रक

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नई दिल्ली : भारत ने स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से GSAT-20 के प्रक्षेपण के साथ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। यह पहली बार है जब ISRO की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) ने उपग्रह तैनाती के लिए स्पेसएक्स के साथ साझेदारी की है। प्रक्षेपण के 34 मिनट बाद उपग्रह रॉकेट से अलग हो गया। इसके बाद सफलतापूर्वक अपनी जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित हो गया।

इसरो ने की नई शुरुआत

हमारे सहयोगी अखबार TOI की पिछली रिपोर्ट में, NSIL के चेयरमैन और एमडी राधाकृष्णन डी ने सहयोग के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि स्पेसएक्स को पिछले साल हमारे तरफ से जारी RFP के आधार पर चुना गया था। अन्य बोलीदाता भी थे। यह एक नई शुरुआत है क्योंकि हम उनकी धरती से एक अमेरिकी रॉकेट के जरिये लॉन्च कर रहे हैं। वर्तमान समझौता केवल इसी लॉन्च के लिए है, और हम भविष्य की आवश्यकताओं पर विचार करेंगे।

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जीसैट-20 की मुख्य विशेषताएं

  • जीसैट-20 उपग्रह, उपग्रह संचार प्रौद्योगिकी में अत्याधुनिक प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें भारत की बढ़ती कनेक्टिविटी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अनुकूलित विशेषताएं हैं।
  • हाई डेटा क्षमता: 32 बीमों में 48 जीबीपीएस की थ्रूपुट के साथ।
  • उपग्रह अंडमान, निकोबार और लक्षद्वीप द्वीपसमूह जैसे दूरदराज के क्षेत्रों तक मजबूत ब्रॉडबैंड कवरेज सुनिश्चित करता है।
  • Ka-बैंड टेक्नोलॉजी: Ka-बैंड फ्रीक्वेंसी का उपयोग करते हुए, जीसैट-20 को इन-फ्लाइट इंटरनेट सेवाओं और स्मार्ट सिटी पहलों का समर्थन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • स्थायित्व और दक्षता: सैटेलाइट को 14 साल के मिशन लाइफ के लिए बनाया गया है।
  • इसमें सीएफआरपी संरचनाओं और ली-आयन बैटरी सहित एडवांस सामग्री है।


डिमांड के आधार वाला मॉडल

यह प्रक्षेपण भारत सरकार के 2020 अंतरिक्ष क्षेत्र सुधारों का हिस्सा है। यह NSIL को सेवा मांग के आधार पर उपग्रह विकसित करने का अधिकार देता है। GSAT-20, GSAT-24 के बाद NSIL का दूसरा मांग के आधार वाला उपग्रह है। इसे 2022 में लॉन्च किया गया था। यह पूरी तरह से टाटा प्ले को लीज पर दिया गया था। GSAT-24 के विपरीत, जिसने एक ही ग्राहक को सेवा दी, GSAT-20 कई यूजर्स को सर्विस देगा। हमारे सहयोगी अखबार TOI की रिपोर्ट में एक अधिकारी ने कहा कहा, जबकि यह भी एक डेडिकेटेड उपग्रह है, यह किसी एक कंपनी के लिए नहीं है। इस क्षेत्र में कई प्लेयर्स हैं।

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अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं का विस्तार

भारत के अंतरिक्ष व्यवसायीकरण के प्रयास के तहत स्थापित NSIL को बाजार की जरूरतों को पूरा करने के लिए उपग्रह मिशनों का स्वामित्व, संचालन और वित्तपोषण करने का काम सौंपा गया है। जून 2022 में लॉन्च किए गए इसके पहले डिमांड के आधार वाले मिशन, GSAT-24 ने भारत के उपग्रह उद्योग में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी के लिए एक मिसाल कायम की। GSAT-20 लॉन्च के साथ, NSIL पूरे भारत में कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के अपने मिशन को आगे बढ़ा रहा है। यह राष्ट्रीय विकास के लिए अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी का लाभ उठाने के सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है, खासकर डिजिटल डिवाइड को पाटने में।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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